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यूएई ने सितंबर 2025 के लिए ईंधन दरें तय कीं, डीजल की कीमतों में आई बड़ी गिरावट

यूएई की फ्यूल प्राइस मॉनिटरिंग कमिटी ने 31 अगस्त 2025 को सितंबर के लिए नए पेट्रोल और डीज़ल रेट्स जारी किए। इस बार पेट्रोल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि डीजल की दरों में उल्लेखनीय कमी आई है। हर महीने की तरह इस बार भी कीमतें अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की औसत दरों और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के परिचालन खर्च को ध्यान में रखकर तय की गईं।


यूएई पेट्रोल की कीमतों में मामूली बदलाव

सितंबर अपडेट में सुपर 98 पेट्रोल की कीमत बढ़कर Dh2.70 प्रति लीटर हो गई है, जबकि अगस्त में यह Dh2.69 थी। वहीं, स्पेशल 95 पेट्रोल अब Dh2.58 प्रति लीटर हो गया है  जबकि अगस्त में यह Dh2.57 था। ई-प्लस 91 पेट्रोल Dh2.51 प्रति लीटर हो गया है, जो अगस्त में Dh2.50 था। यानी पेट्रोल की तीनों कैटेगरी में सिर्फ 1 फ़िल की हल्की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।


डीजल में बड़ी राहत

वहीं, डीजल के दाम सितंबर में घटकर Dh2.66 प्रति लीटर हो गए हैं, जो अगस्त में Dh2.78 थे। यानी एक झटके में 12 फ़िल की कमी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट न सिर्फ वाहन मालिकों बल्कि ट्रांसपोर्ट, कंस्ट्रक्शन और लॉजिस्टिक्स सेक्टर के लिए भी बड़ी राहत है।


उपभोक्ताओं पर कितना असर?

  • नई दरों का असर सीधे तौर पर फुल टैंक ईंधन भरवाने की लागत पर दिखता है।
  • 51 लीटर की कॉम्पैक्ट कार में सुपर 98 भरवाने का खर्च अब Dh137.7 होगा, जो पहले Dh137.19 था।
  • 62 लीटर की सेडान में यह खर्च Dh167.4 तक जाएगा, जबकि अगस्त में Dh166.78 था।
  • बड़ी SUV (74 लीटर टैंक) में सुपर 98 भरवाने का खर्च Dh199.8 होगा, जो पहले Dh199.06 था।

इन आंकड़ों से साफ है कि पेट्रोल की बढ़ोतरी बेहद मामूली है, जिससे आम उपभोक्ताओं के मासिक बजट पर कोई बड़ा बोझ नहीं पड़ेगा।


डीजल की गिरावट से सेक्टर को फायदा

डीजल की कीमतों में कमी का सीधा असर लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन सेक्टर पर दिखाई देगा। ट्रक और भारी वाहनों की संचालन लागत घटने से माल ढुलाई की कीमतों में कमी आने की संभावना है। इसके साथ ही, सार्वजनिक परिवहन और इंडस्ट्रियल सेक्टर को भी इससे राहत मिलेगी। यदि यह ट्रेंड अगले कुछ महीनों तक बना रहा तो ट्रांसपोर्ट सेवाओं और किराये पर भी अप्रत्यक्ष असर पड़ सकता है।


ग्लोबल मार्केट और यूएई का मॉडल

वर्तमान में यूएई में पेट्रोल की औसत दर Dh2.58 प्रति लीटर है। यह अब भी दुनिया के उन देशों की लिस्ट में शामिल है जहाँ ईंधन अपेक्षाकृत सस्ता है। यूएई सरकार की मासिक ईंधन मूल्य निर्धारण प्रणाली पूरी तरह ट्रांसपेरेंसी पर आधारित है। इस मॉडल के जरिए उपभोक्ताओं को भरोसा मिलता है कि घरेलू ईंधन दरें वैश्विक बाजार की स्थिति से सीधे जुड़ी हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल क्रूड ऑयल मार्केट में लगातार उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। ओपेक देशों के उत्पादन निर्णय, अमेरिकी शेल ऑयल सप्लाई और एशियाई देशों की डिमांड आने वाले महीनों में कीमतों की दिशा तय करेंगे। यही कारण है कि यूएई का डायनेमिक प्राइसिंग सिस्टम उपभोक्ताओं और इंडस्ट्री, दोनों को वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से एडजस्ट होने का मौका देता है।


टेक्नोलॉजी और ट्रांसपेरेंसी का मेल

यूएई का यह फ्यूल प्राइसिंग मैकेनिज्म पूरी तरह डेटा-ड्रिवेन है। हर महीने अंतरराष्ट्रीय कीमतों का औसत निकालकर और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों के खर्च को जोड़कर डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए नई दरें घोषित की जाती हैं। इससे न सिर्फ सरकारी नीति पारदर्शी रहती है बल्कि उपभोक्ता भी रियल-टाइम में दरों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।


आगे क्या?

सितंबर 2025 में पेट्रोल और डीजल की दरों का असर दो हिस्सों में बंटा हुआ दिखाई देता है। पेट्रोल उपभोक्ताओं के लिए खर्च में मामूली बढ़ोतरी हुई है, लेकिन डीजल पर निर्भर इंडस्ट्री और ट्रांसपोर्ट सेक्टर को तगड़ी राहत मिली है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार किस ओर बढ़ता है और इसका यूएई की घरेलू कीमतों पर क्या असर पड़ता है।

कुल मिलाकर, सितंबर 2025 यूएई के उपभोक्ताओं के लिए बैलेंस्ड फ्यूल प्राइसिंग मंथ कहा जा सकता है जहाँ पेट्रोल यूजर्स पर ज्यादा बोझ नहीं बढ़ा और डीजल उपयोगकर्ताओं को वास्तविक राहत मिली।


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