
गूगल ने अपने अरबों जीमेल यूज़र्स को बड़ी सुरक्षा चेतावनी जारी की है। कंपनी ने पुष्टि की है कि जून 2025 में उसकी कॉर्पोरेट सेल्सफोर्स डेटाबेस प्रणाली में डेटा लीक हुआ था। इस घटना में छोटे और मझोले व्यवसायों की सार्वजनिक जानकारी जैसे नाम और संपर्क विवरण उजागर हुए। हालांकि गूगल ने साफ कहा है कि जीमेल खातों के पासवर्ड और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित हैं, लेकिन इस लीक के बाद फ़िशिंग और धोखाधड़ी हमलों का खतरा काफी बढ़ गया है।
गूगल ने इस घटना को 5 अगस्त को सार्वजनिक किया और 8 अगस्त से प्रभावित यूज़र्स को सुरक्षा अलर्ट भेजना शुरू किया। कंपनी का कहना है कि हमलावर इस डेटा का उपयोग कर खुद को गूगल कर्मचारी बताकर यूज़र्स से संपर्क करने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में अकाउंट पर नियंत्रण हासिल करने के लिए कॉल, मैसेज या ईमेल के जरिए पासवर्ड रीसेट या लॉगिन कोड मांगने के प्रयास किए जा रहे हैं।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, इस हमले के पीछे कुख्यात हैकर ग्रुप ShinyHunters हो सकता है। यह समूह पहले भी कई बड़े कॉर्पोरेट डेटा लीक मामलों में सामने आ चुका है। रिपोर्ट्स में बताया गया है कि अपराधी फ़िशिंग ईमेल और मैसेज भेज रहे हैं जिनमें नकली गूगल लोगो और ऑथेंटिकेशन कोड का इस्तेमाल कर भरोसा जीतने की कोशिश की जाती है। कुछ कॉल में प्लानो, टेक्सास के 650 कोड से नंबर दिखाए गए हैं, जिनका उद्देश्य यूज़र्स को धोखा देकर अकाउंट तक पहुंच बनाना है।

सोशल मीडिया पर यूज़र्स ने चिंता जताई है कि उन्हें लगातार संदिग्ध ईमेल और कॉल आ रहे हैं। कई लोगों ने पासवर्ड बदलने के बावजूद धोखाधड़ी के प्रयासों की शिकायत की है। यह स्थिति दिखाती है कि सिर्फ पासवर्ड बदलना पर्याप्त नहीं है, बल्कि अतिरिक्त सुरक्षा उपाय जरूरी हैं।
गूगल ने यूज़र्स को स्पष्ट चेतावनी दी है कि कंपनी कभी भी कॉल या मैसेज के जरिए पासवर्ड या वेरिफिकेशन कोड नहीं मांगती। यदि किसी को इस तरह का संदेश या कॉल मिले तो तुरंत अनदेखा करें और रिपोर्ट करें। इसके अलावा, किसी भी संदिग्ध लिंक या ईमेल अटैचमेंट पर क्लिक न करें।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि हर यूज़र को अपना पासवर्ड तुरंत बदलना चाहिए और टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) चालू करना चाहिए। गूगल ने पासकी (Passkey) फीचर का उपयोग करने की भी सिफारिश की है, जो फ़िशिंग हमलों से बचाव में और मजबूत साबित होता है। इसके साथ ही, गूगल अकाउंट में नियमित सिक्योरिटी चेकअप करने की सलाह दी गई है ताकि किसी भी अनजान डिवाइस या संदिग्ध गतिविधि की पहचान तुरंत की जा सके।
कंपनी ने प्रभावित यूज़र्स को अलर्ट भेजना जारी रखा है और सुरक्षा उपायों को और मजबूत बनाने पर काम कर रही है। इसके अलावा, गूगल ने सुझाव दिया है कि जो यूज़र्स संवेदनशील जानकारी के साथ काम करते हैं या बार-बार साइबर खतरों का सामना करते हैं, वे Advanced Protection Program का हिस्सा बनें।

यह घटना फिर से साबित करती है कि डिजिटल युग में डेटा सुरक्षा केवल तकनीकी उपायों पर निर्भर नहीं कर सकती। यूज़र की जागरूकता और सतर्कता भी उतनी ही जरूरी है। आने वाले समय में साइबर अपराधों का दायरा और बढ़ सकता है, इसलिए हर इंटरनेट यूज़र को सुरक्षा के इन बुनियादी नियमों का पालन करना चाहिए।
गूगल ने साफ कहा है कि भले ही पासवर्ड लीक न हुआ हो, लेकिन फ़िशिंग हमले इस समय सबसे बड़ा खतरा हैं। ऐसे में सतर्क रहना और सुझाए गए सुरक्षा कदम उठाना ही अकाउंट और व्यक्तिगत डेटा की रक्षा का सबसे प्रभावी तरीका है।
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